मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को मिला राष्ट्रीय दर्जा, 18 साल से था प्रयास
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मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को मिला राष्ट्रीय दर्जा, 18 साल से था प्रयास

मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना 2002 में हुई थी जिसके 3 साल बाद 2005 में इससे नेशनल स्टेटस छीन लिया गया था. तब से यह क्षेत्रीय केंद्र के रूप में संचालित हो रहा था.

मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को मिला राष्ट्रीय दर्जा, 18 साल से था प्रयास

पटना: मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को 18 साल के लंबे प्रयास के बाद एक बार फिर राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र का दर्जा मिल गया है. इससे अब इस मखाना केंद्र के कार्यक्षेत्र का विस्तार हो गया है और यह राष्ट्रव्यापी के रूप में काम कर सकेगा. वही शोध कार्य में भी इसमें तेजी आएगी. साथ ही अन्य जलीय फसलों पर भी रिसर्च होगा और लोगों को फायदा मिलेगा.

बताते चलें कि इस मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना 2002 में हुई थी जिसके 3 साल बाद 2005 में इससे नेशनल स्टेटस छीन लिया गया था. तब से यह क्षेत्रीय केंद्र के रूप में संचालित हो रहा था. इस बाबत मखाना अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ मनोज कुमार ने कहा कि हमारी मिथिला के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि 18 साल के लंबे प्रयास के बाद मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के रूप में स्वीकृति मिल गई है. इसके कई फायदे हैं. इससे पहले पूर्वी भारत संस्थान के क्षेत्रीय शोध केंद्र के रूप में हम काम कर रहे थे.

राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र बनने के बाद हमारा कार्य क्षेत्र पूरा भारत हो गया है. इसके अलावा हमारे संस्थान में नए वैज्ञानिक नियुक्त होंगे. नए तकनीकीगण अधिकारी आयेंगे. कुल मिलाकर हमारा जो मैन पावर,स्टाफ स्ट्रैंथ है उसमें बढ़ोतरी होगी. हमारे लिए अलग से बजट होगा. शोध के लिए जो वैज्ञानिक उपकरण आदि है,वह तुरंत उपलब्ध कराया जाएगा. कुल मिलाकर यहां जो शोध है उसमे बेहतरी होगी एवं यहां का जो अर्थव्यवस्था है उसे मजबूती होगी.

पहले मखाना को क्षेत्रीय खेती के रूप में देखा जाता था. जो पहले मखाना की खेती मुख्य तौर पर उत्तर बिहार के आठ दस जिलो में होता था. वह तेजी से बिहार के बाहर भी कई प्रांतों में शुरू हो गई है. मार्च के महीने में हमने मध्य प्रदेश के किसानों को प्रशिक्षित किया है. वही छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी मखाना की खेती शुरू की है. इसके अलावा उड़ीसा ,पश्चिम बंगाल , यूपी आदि क्षेत्रों में भी किसानों ने मखाना की खेती तेजी से शुरू की है. इसका महत्व राष्ट्रव्यापी हो गया है ना केवल राष्ट्रव्यापी बल्कि इसमें जो पौष्टिकता है ,जो औषधीय गुण है और इसके प्रति जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है वैसे वैसे पूरे दुनिया में मखाना फसल के बारे में लोग जानने लगे है. इस फसल के अलावा अन्य जलीय फसल जिसका आर्थिक महत्व अधिक है, जिसका औषधीय महत्त्व है, जिसकी पौष्टिकता अधिक होती है ऐसी फसलों पर भी शोध किया जाएगा.

दरभंगा सांसद गोपाल जी ठाकुर ने इस कार्य को लेकर प्रधानमंत्री एवं भारत सरकार के कृषि मंत्री को साधुवाद देते हुए कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं भारत सरकार के कृषि मंत्री आदरणीय नरेंद्र तोमर जी को मिथिला के 8 करोड़ लोगों के तरफ से आभार एवं धन्यवाद देता हूं. जिन्होंने बहुत बड़ा फैसला मिथिला के हित में किया. आज यहां जलीय उत्पाद मछली, मखाना, सिंघाड़ा सबका रिसर्च सेंटर यहां बनाने का काम किया है. इसके लिए भारत सरकार को हार्दिक शुभकामना एवं बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद दूंगा.

इनपुट- मुकेश कुमार

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